“आम आदमी पार्टी” के कार्यकर्ताओं ने आज राज्य की राजधानी में उपलब्ध अग्निशमन तंत्र की वास्तविक स्थिति की जांच करने के लिए अग्निशमन विभाग का दौरा किया। राज्य की राजधानी में सामाजिक सुरक्षा तंत्र की वर्तमान स्थिति से पूरे राज्य की स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। मजदूरों की सुरक्षा, महिला सुरक्षा,बाल मजदूरी, आपदा नियंत्रण आदि मुद्दों पर सरकारी तंत्र की वास्तविक स्थिति को आम जनता के सामने लाने के उद्येश्य से वे क्रमशः इन मुद्दों को उठा रहे हैं। अग्नि सुरक्षा विभाग में या उनके गोदाम में ही यदि आग लग जाए, तो उनके लिए कोई अलग से अग्निशामक ही नहीं है। वे गोदाम में उपलब्ध उपकरणों और बाहर खड़ी अग्निशामक बसों पर पूरी तरह से निर्भर हैं। उपलब्ध सामग्री और उपकरणों को जिस तरीके रखा जाता है उसे देखते हुए, जरुरत के समय आवश्यक सामग्री खोजना फायरमेन के लिए आसान नहीं है। रायपुर नगर निगम ने महंगी बसें तो खरीदी हैं लेकिन विडंबना यह है कि उसे चलने के लिए वह केवल चार ऑपरेटरों पर निर्भर है। पिछले दस वर्षों में प्रशिक्षित बस ऑपरेटरों की कोई नियुक्ति नहीं हुई है। वर्तमान ड्राइवरों संविदा में हैं तथा उन्हें किसी भी प्रकार का अधिकृत संचालन प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है। हाल ही में अग्नि सुरक्षा में उनके प्रमाण पत्र के आधार पर 39 फायरमैन विभाग में नियुक्त किये गये हैं,किन्तु उनके लिए कोई वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित नहीं है। खाकी ड्रेस और गम बूट के अलावा उन्हें कोई अन्य प्राथमिक सुरक्षा सूट नहीं दिए गए हैं तथा उनका एक समूह बीमा के अलावा किसी अन्य तरह का दुर्घटना बीमा नहीं कराया गया है। आग लगने की घटनाओं में अधिकतर इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट एक मुख्य कारण होता है, वैसे तो आग लगने की सूचना मिलते ही बिजली विभाग को भी सूचित किया जाता है ताकि बिजली मिस्त्री पॉवर लाइन से दुर्घटना स्थल का कनेक्शन काट दे, लेकिन दुर्घटना स्थल पर बिजली विभाग के कर्मचारी के यदि समय में नहीं पहुँच पाए तो फायरमेन को अपनी जान जोखिम में डालकर आग पर काबू करने प्रयास करना पड़ता है, ऐसी परिस्थियों के लिए तैयार करने हेतु उन्हें किसी भी प्रकार का बिजली प्रशिक्षण या सुरक्षा तंत्र नहीं दिया गया है। हमारी सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वाले अग्निशमन दल को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था तथा न्यूनतम सहूलियत उपलब्ध कराने की जरूरत है। उनकी निरंतर उपस्थिति के बदले में अतिरिक्त एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाता था,जिसके लिए नव नियुक्त फायरमेन अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व में फायरब्रिगेड को सुभाष स्टेडियम के पास से हटाकर टिकरापारा में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसकी खाली जगह को निगम ने अस्थायी मोटरसाइकिल स्टैंड के रूप में दे दिया है। आम आदमी पार्टी ने मांग की है की कम से कम एक अग्निशमन बस को वहां रखा जाना चाहिए ताकि वे दुर्घटना स्थल तक जल्द से जल्द पहुंच सकें। इसके अलावा भी लगभग 30 किमी तक फ़ैल चुकी राजधानी में इन बसों को अलग-अलग सेंटर बना कर रखा जाना चाहिए। राज्य सरकार पूरी तरह से उदासीन प्रतीत होती है और तभी जगती है जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता है।राजधानी में नए बुनियादी सुविधाओं पर बहुत खर्च किया जा रहा है, लेकिन अग्नि सुरक्षा को उपेक्षित कर दिया गया है। सरकारी मशीनरी सुरक्षा मानकों का पालन कितनी गंभीरता से करवा रही है इसका अन्दाज़ा विगत दिनों नवभारत फ्यूज फैक्ट्री में हुए धमाके से भी लगाया जा सकता है। उद्योगों के अलावा निजी संपत्तियों जैसे मॉल, बड़े कॉम्प्लेक्सों में सुरक्षा मानकों के अनुपालन और उसके नियमित जांच को रमन सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है जिससे आम जनता को किसी बड़ी दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है। “आप” का – संदीप तिवारी
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