हम भारत के लोग,
जो लम्बे संघर्ष के बाद, अनेको बलिदान के बाद 1947 में स्वतंत्र हुए थे,
हम भारत के लोग,
जो अपने सेवक चुनकर विधानसभाओं और संसद में भेजते थे,
हम भारत के लोग,
आज अपने सेवकों के गुलाम हैं, और आश्चर्य ये की हम में से अधिकतर ऐसे ही रहना भी चाहते हैं,
हम भारत के लोग,
स्वयं अपने आप को पशुओं के झुण्ड की तरह हांका जाना पसंद करते हैं,
हम भारत के लोग,
कभी ये सोचते भी नहीं की हम एक अदद जिंदगी के कायल हैं, और वो हमारा अधिकार है,
हम भारत के लोग,
स्वयं को असहाय समझते हुए, यथा स्थिति में संतोष करना सीख जाते हैं,
हम भारत के लोग,
ऐसे हैं की हमारी चीरनिद्रा किसी भगत सिंह के फांसी पर लटकने पर मुस्किल से टूटती है,
हम भारत के लोग,
बड़े सहनशील और परिश्रमी हैं........................
बड़े सहनशील और परिश्रमी हैं........................
बड़े सहनशील और परिश्रमी हैं........................
अब ये विडियो देखिये, जिसमे योगेन्द्र यादव जी सहनशीलता और परिश्रम से जुडी एक कहानी सुना रहे हैं .
No comments:
Post a Comment