अपना ही कोयला अडानी से खरीद रही है छत्तीसगढ़ सरकार कोल ब्लॉक आवंटन के नाम पर 1.86 लाख करोड़ के घोटाले का खुलासा सीएजी ने किया है. लेकिन उसने यह भी कहा है कि कोयला क्षेत्र मे होने वाला घोटाला या इससे होने वाले नुकसान का आंकड़ा 1.86 लाख करोड़ से कई गुणा ज्यादा है. कोयले की लूट का एक दूसरा तरीका भी है. यह तरीका है, ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाकर कोयले से होने वाले मुनाफे से सरकार को वंचित करना यानी जो धन सरकारी खजाने मे आनी थी, वह किसी निजी कंपनी के खाते मे जा रही है. ऐसा ही एक मामला है छत्तीसगढ़ का, जहां ज्वाइंट वेंचर के नाम पर हजारों करोड़ की लूट मची हुई है. गुलेल की यह रिपोर्ट बता रही है कि ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाकर देश का हजारों करोड़ एक निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को दिया जा रहा है कैसे बनी ज्वाइंट वेंचर कंपनी कोयला मंत्रालय ने अगस्त 2006 मे छत्तीसगढ़ स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीएसईबी), जिसे अब छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड बना दिया गया है, को मारवा थर्मल पावर प्रोजक्ट के लिए परसा कोल ब्लॉक आवंटित किया. राज्य सरकार की इस कंपनी को लगा कि वह कोयला निकालने मे सक्षम नही है. सीएसईबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की 77वें बैठक (जून 2008) में यह निर्णय लिया गया कि एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाकर कोयले का खनन किया जाए. इस निर्णय के बाद फरवरी 2009 को सीएसईबी ने ज्वाइंट वेंचर पार्टनर के चयन के लिए एक टेंडर नोटिस निकाला. इस टेंडर के अनुसार सीएसईबी उसी कंपनी के साथ साझेदारी करती, जो उसे सीआईएल/एसईसीएल (कोल इंडिया लिमिटेड/ साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड) द्वारा दिए जा रहे कीमत पर सबसे ज्यादा छूट देगी. साधारण तरीके से कहें, तो जो कंपनी एसईसीएल के दर से सबसे कम कीमत पर कोयला देगा, उसी के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई जाएगी. तीन कंपनियों एसईसीएल (साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड लिमिटेड), एमएमटीसी (मेटल्स एंड मिनरल्स ट्रेडिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और एईएल (अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड) ने ज्वाइंट वेंचर पार्टनर बनने के लिए आवेदन किया. इन तीनो कंपनियों मे दो यानी एसईसीएल और एमएमटीसी भारत सरकार की कंपनी है, जबकि अडानी इंटरप्राइजेज निजी कंपनी है. 6 अगस्त 2009 को तीनो बिडर्स के प्राइस बिड खोले गए और 19 अक्टूबर 2009 को अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने के लिए चयनित किया गया, क्योंकि इसने सबसे अधिक छूट दी थी. यानी इअसने सीआईएल/एसईसीएल द्वारा दिए जाने वाले कोयले की कीमत से तीन प्रतिशत कम कीमत पर कोयला देना स्वीकार किया था रमण सिंह सरकार ने अडानी को फायदा पहुंचाया रमण सिंह की सरकार ने अनुचित तरीके से अडानी को फायदा पहुंचाया है. सीएजी की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि जब एक बार टेंडर की शर्त मे एफ ग्रेड कोयले की कीमत को अधार बना दिया गया, तो इसमें केवल एक कंपनी यानी अडानी के कहने पर संशोधन क्यों किया गया. सीएजी ने साफ कहा है कि वेंडर कंपनी यानी सीजीपीएसएल को पहले मालूम था कि परसा कोल ब्लॉक मे डी और ई ग्रेड का कोयला ज्यादा है, क्योंकि 1998 में ही जीओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने अपने रिजनल एक्सप्लोरेशन रिपोर्ट मे कहा था कि इस क्षेत्र मे कुल मिलाकर डी और ई ग्रेड का कोयला अधिक है. यानी छत्तीसगढ़ सरकार को इस बात की जानकारी पहले से थी, लेकिन फिर भी उसने टेंडर में एफ ग्रेड कोयले की कीमत को आधार बनाया, जिसकी कीमत कम होती है. लेकिन सिर्फ अडानी के कहने पर इसने इसमें संशोधन कर दिया, जो यह दिखाता है कि किसी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है पूरी खबर विस्तार से पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे। http://ift.tt/1BckCF1
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