Saturday, May 17, 2014

Aam Aadmi Party Raipur

जब बिना पैसे के आपके काबिल बच्चो को नौकरी नहीं मिलेगी.....तो अरविन्द याद आएगा...... जब ये भ्रष्ट अफसर हर सरकारी कार्यालय में घुस मांगेंगे.....तो अरविन्द याद आएगा....... जब टीवी पर नए-नए घोटाले से देश को लूटते देखोगे......तो अरविन्द याद आएगा................................ जब आपका सुपर-डुपर हिट नेता आपकी समस्यायों पर ध्यान नहीं देगा.....तो अरविन्द याद आएगा..... जब बेवजह ट्रैफिक वाला आपका चालान काटेगा......तो अरविन्द याद आएगा..... जब राशन कार्ड बनाने के लिए सरकारी सिस्टम आपको चक्कर काटने के लिए मजबूर करेगा.....तो अरविन्द याद आएगा..... जब भ्रष्ट पुलिस वाले आपकी जायज FIR लिखने से मना कर देंगे.....तो अरविन्द याद आएगा...... जब इन्साफ के लिए कोर्ट के दरवाजे बंद हो जायेंगे.....तो अरविन्द याद आएगा...... जब कोई नेता Z सिक्यूरिटी से बाहर आकर आपसे मिलने को तैयार नहीं होगा......तब अरविन्द याद आएगा....... लेकिन हिम्मत ना हारना.....फिर भी अरविन्द आपको यहीं मिलेगा.....आप लोगो के बीच.....किसी भ्रष्ट सिस्टम से लड़ता हुआ......और तब हो सके तो उसका साथ दे दे

हाँ , हम हारे.....

प्रिय साथी,


सबसे पहले मैं स्वीकार करता हूँ की हम हारे, और बुरी कदर हारे. सबसे पहले ये स्वीकार करना इसलिए जरुरी है ताकि फिर कोई ये ना कहे की बहाने बनाये जा रहे हैं.

आम आदमी पार्टी की शायद इतनी आलोचना लोग इसीलिए करते हैं क्यों की सिर्फ ये एक पार्टी है जिस से लोगों की अन्य राजनितिक पार्टियों से बहुत ही अलग किस्म की और बहुत ऊँची अपेक्षाएं हैं.

आम आदमी पार्टी अधिकतर पढ़े लिखे जागरूक कुछ देशभक्त भारतीयों का समूह है जो स्वराज प्राप्ति की क्रांति के पथ पर चलते हुए आन्दोलनों से होता हुआ एक राजनितिक दल बन गया है. हमने बहुत से अच्छे लोगों को पार्टी से जोड़ा, अलग-अलग क्षेत्रों के पुरोधाओं, भगत सिंह, शास्त्री जी से लेकर विक्रम बत्रा के परिवार से लोगों को साथ लिया. लोकसभा चुनाव लड़ा और 443 में से सिर्फ 4 जीत पाए.

लेकिन क्या सिर्फ चुनाव जीतना हमारा लक्ष्य था ? यदि ऐसा होता तो अरविन्द जी और कुमार विश्वास दिल्ली की किसी सीट से लड़ रहे होते. लेकिन क्या जीतना महत्वपूर्ण नहीं था? बिलकुल था, और हम चाहते थे की हम जीतें, लेकिन जनता ने शायद हमें इस ओर अनवरत कार्य करते रहने कहा और वर्तमान जिम्मेदारी किसी और को दी.

जीत हार की विवेचना को अधीर कुछ साथी दिल्ली विधानसभा को लेकर लिए निर्णय, उमीदवार चयन, संगठन में पुराने-नए कार्यकर्त्ता आदि कारण गिना रहे हैं. मैं ये नहीं कहता की कहीं कोई भी चूक नहीं हुयी होगी, बिलकुल हुयी होगी, पर हमारे इरादों पर कभी कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा और ना लगेगा. जैसा हमारे योगेन्द्र जी कहते हैं की हमारी समझदारी में चूक हो सकती है, हमारी इमानदारी में नहीं.
मैं सिर्फ ये पूछना चाहता हूँ की कुछ उम्मीदवार अगर कोई और लोग होते तो क्या परिणाम में आमूलचूल बदलाव आ जाता? संगठन में किसी एक की जगह दूसरे को जिम्मेवारी देने से परिणाम एकदम बदल जाते? रही बात सुधार की तो इसकी गुंजाईश हमेशा रहती है और हम सब मिलकर इस ओर कार्य करते रहेंगे.

राजनीती में आने से पहले हमें अच्छी तरह से पता था की वर्तमान राजनीती एक कीचड़ है, और उल-जुलूल आरोप लगेंगे ही क्यों की हम बहुत से भ्रष्ट लोगों के पेट पर लात मारने जा रहे हैं.ये बताने की जरुरत नहीं की इतनी पारदर्शिता और इमानदारी से काम करने के बाद भी हमें लेकर कैसे कैसे दुष्प्रचार और हथकंडों का इस्तेमाल किया गया.

पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ धर्मयुद्ध की इस कठिन डगर में क्या हमसे कोई गलती नहीं हुयी? बिलकुल हुयी होगी, स्वाभाविक है, इस राह पर हम नए हैं, अधिकतर युवा हैं तो उर्जा के साथ अधीरता भी हैं, हमें आज और अभी परिणाम चाहिए होता है और इसीलिए हम पिछले वर्ष में ही काफी कुछ हासिल कर भी पाए. हमने राजनीती की दशा और दिशा दोनों बदलनी प्रारंभ कर दी. अपनी गलतियों से हम जल्दी से सीखकर तुरंत दुगुनी उर्जा से आगे बढ़ेंगे क्यों की हमारी सफलता-असफलता हमारी अधीरता को कम नहीं कर सकता, हमें स्वराज चाहिए, पूर्ण स्वराज.


-          सदैव आपका, संदीप तिवारी 

Monday, May 12, 2014

Aam Aadmi Party Raipur

Friends, 16th May is the day of "COUNTING" & we need Volunteers to represent AAP as "Counting Agents". All you need to do is to submit 2 passport size photographs with Yogesh Purohit 8109180008 / 969170041. Today is the last day of submission, before 4pm.

Saturday, May 10, 2014

Aam Aadmi Party Raipur

भ्रष्टाचार का एक ही काल केजरीवाल केजरीवाल http://ift.tt/QtpXqE